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विधानसभा परिसर में यात्रा वृत्तान्त “मेरी नज़र से अरुणाचल प्रदेश” का विमोचन

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रायपुर, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह और मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने आज विधानसभा परिसर में पत्रकार दीर्घा सलाहकार समिति की अरुणाचल प्रदेश यात्रा पर आधारित इलेक्ट्रॉनिक टीवी चैनल बीएसटीवी के राज्य संपादक डॉ. अवधेश मिश्रा द्वारा लिखित यात्रा वृत्तान्त “मेरी नज़र से अरुणाचल प्रदेश” का विमोचन किया।

इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने कहा कि जीवन में यात्राओं का विशेष महत्व है। यात्रा न केवल तनाव से मुक्ति देती है, बल्कि ताजगी और नई ऊर्जा का संचार भी करती है। उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि वे नियमित रूप से यात्रा वृत्तान्त पढ़ते हैं और यह रुचि उन्हें राहुल सांकृत्यायन जी को पढ़ने से मिली। यात्रा वृत्तान्तों के माध्यम से पाठक घर बैठे देश–विदेश के भूगोल, संस्कृति और जीवनशैली को समझ पाते हैं। डॉ. सिंह ने डॉ. अवधेश मिश्रा को बधाई देते हुए कहा कि पत्रकार दीर्घा सलाहकार समिति की यात्रा को लिपिबद्ध करने की यह पहल सराहनीय है और यह वृत्तान्त अन्य पर्यटकों के लिए भी उपयोगी सिद्ध होगा। उन्होंने कहा कि हमारे देश में ही इतने मनोरम स्थल हैं कि विदेश जाने की आवश्यकता नहीं पड़ती। नॉर्थ ईस्ट अपनी प्राकृतिक सुंदरता, सांस्कृतिक विरासत और स्वच्छ वातावरण के लिए विशिष्ट पहचान रखता है।

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने इसे एक ऐतिहासिक क्षण बताते हुए सभी पत्रकारों को शुभकामनाएँ दीं। उन्होंने कहा कि विधानसभा की ओर से अरुणाचल प्रदेश जैसे सुंदर राज्य की यात्रा करना और उस अनुभव को लेखन के माध्यम से जन-जन तक पहुँचाना प्रशंसनीय कार्य है। मुख्यमंत्री श्री साय ने बताया कि अपने राज्य मंत्री कार्यकाल के दौरान उन्होंने नॉर्थ ईस्ट के राज्यों के कई दौरे किए और प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के मार्गदर्शन में वहाँ विकास कार्यों को गति मिली। उन्होंने डॉ. अवधेश मिश्रा को इस यात्रा वृत्तान्त के लिए बधाई देते हुए कहा कि यह पुस्तक पर्यटकों के लिए मार्गदर्शक की भूमिका निभाएगी और भविष्य में अन्य लोगों को भी यात्रा वृत्तान्त लेखन के लिए प्रेरित करेगी।

इस अवसर पर नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत, स्वास्थ्य मंत्री श्री श्याम बिहारी जायसवाल, कृषि मंत्री श्री रामविचार नेताम, स्कूल शिक्षा मंत्री श्री गजेंद्र यादव, विधायक श्री धरमलाल कौशिक, मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार श्री पंकज झा, छत्तीसगढ़ साहित्य परिषद के अध्यक्ष श्री शशांक शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार श्री बाबूलाल शर्मा, श्री कृष्णा दास, श्री यशवंत धोटे सहित बड़ी संख्या में पत्रकारगण एवं प्रबुद्धजन उपस्थित थे।


वंदे मातरम् की गौरव गाथा का स्मरण हर भारतीय के लिए गर्व का विषय – मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय

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रायपुर,राष्ट्रगीत वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर छत्तीसगढ़ विधानसभा में आयोजित विशेष चर्चा में मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने वंदेमातरम के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और भावनात्मक महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि वंदे मातरम् देशप्रेम का वह जज्बा था जिसकी गूंज से ब्रिटिश हुकूमत तक कांप उठती थी। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान यह उद्घोष करोड़ों भारतीयों के हृदय में साहस, त्याग और बलिदान की अग्नि प्रज्वलित करता रहा। उन्होंने कहा कि यह वही स्वर था जिसने गुलामी की जंजीरों को तोड़ने की शक्ति प्रदान की।

उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के अमर बलिदानियों को स्मरण करते हुए कहा कि भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, खुदीराम बोस सहित असंख्य क्रांतिकारी वंदे मातरम् का जयघोष करते हुए मां भारती के लिए हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर चढ़ गए। उनका बलिदान आज भी हर भारतीय को राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों का स्मरण कराता है।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि वंदे मातरम् की गौरव गाथा का स्मरण करना हर भारतीय के लिए गर्व का विषय है। यह गीत हमें उस संघर्ष, उस पीड़ा और उस अदम्य साहस की याद दिलाता है, जिसने भारत को स्वतंत्रता दिलाई। यह हमारी राष्ट्रीय चेतना का आधार स्तंभ है।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि किसी भी राष्ट्र की पहचान केवल उसकी भौगोलिक सीमाओं से नहीं होती, जो मानचित्र पर अंकित होती हैं। किसी राष्ट्र की वास्तविक पहचान उसकी सभ्यता, संस्कृति, परंपराओं और उन मूल्यों से होती है, जो सदियों से उसके आचार-विचार और जीवन पद्धति का हिस्सा रहे हैं। भारत की यह सांस्कृतिक निरंतरता विश्व में अद्वितीय है।

उन्होंने कहा कि विधानसभा में वंदे मातरम् पर विशेष चर्चा आयोजित करने का उद्देश्य यह भी है कि हम इतिहास की उन गलतियों को कभी न भूलें, जिन्होंने देश को गहरे घाव दिए, जिनकी पीड़ा आज भी हमारे समाज में कहीं-न-कहीं महसूस की जाती है। इतिहास से सीख लेकर ही हम एक सशक्त और समरस भारत का निर्माण कर सकते हैं।

मुख्यमंत्री श्री साय ने इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के उन सभी वीर सपूतों को नमन किया, जिन्होंने वंदे मातरम् के भाव को अपने जीवन का लक्ष्य बनाकर भारत माता के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् हमें हमारी विरासत, हमारी सांस्कृतिक चेतना और हजारों वर्षों की सभ्यता से जोड़ता है। यह उन आदर्शों की सामूहिक अभिव्यक्ति है, जिन्हें हमने युगों-युगों में आत्मसात किया है।

उन्होंने कहा कि भारतीय परंपरा में धरती को माता के रूप में पूजने की भावना रही है, जिसे हम मातृभूमि कहते हैं। वंदे मातरम् इसी भाव का सशक्त और पवित्र स्वरूप है, जो हमें प्रकृति, भूमि और राष्ट्र के प्रति सम्मान और कर्तव्यबोध सिखाता है।

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने राष्ट्रगीत वंदे मातरम् की 150वीं जयंती के अवसर पर छत्तीसगढ़ विधानसभा में इस विशेष चर्चा के आयोजन के लिए विधानसभा अध्यक्ष तथा सभी सदस्यों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसे विमर्श नई पीढ़ी को राष्ट्रप्रेम, सांस्कृतिक गौरव और ऐतिहासिक चेतना से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।


छत्तीसगढ़ की पुनर्वास नीति से लौटी उम्मीदें

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सुकमा में आत्मसमर्पित माओवादियों को मिला सम्मानजनक नया जीवन

75 को 5G स्मार्टफोन, 25 को मेसन किट का वितरण

रायपुर,छत्तीसगढ़ शासन की संवेदनशील और दूरदर्शी नक्सल पुनर्वास नीति ज़मीनी स्तर पर सकारात्मक बदलाव का सशक्त उदाहरण बन रही है। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के स्पष्ट निर्देशों एवं उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा के मार्गदर्शन में सुकमा जिले के नक्सल पुनर्वास केंद्र में आत्मसमर्पित माओवादियों को मुख्यधारा से जोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल की गई।

आत्मसमर्पण करने वाल 25 युवाओं को रोजगारोन्मुख मेसन (राजमिस्त्री) किट

इस क्रम में 75 आत्मसमर्पित नक्सलियों को अत्याधुनिक 5G स्मार्टफोन तथा 25 युवाओं को रोजगारोन्मुख मेसन (राजमिस्त्री) किट वितरित की गई। यह कार्यक्रम कलेक्टर श्री देवेश कुमार ध्रुव एवं पुलिस अधीक्षक श्री किरण चव्हाण के मार्गदर्शन में सम्पन्न हुआ।

75 आत्मसमर्पित नक्सलियों को अत्याधुनिक 5G स्मार्टफोन

कार्यक्रम के दौरान 75 पुनर्वासित युवाओं को सैमसंग गैलेक्सी M06 5G स्मार्टफोन प्रदान किए गए, जिनमें 50 मेगापिक्सल डुअल कैमरा तथा 5000 mAh फास्ट-चार्जिंग बैटरी जैसी आधुनिक सुविधाएँ उपलब्ध हैं। इन स्मार्टफोनों के माध्यम से युवा अब डिजिटल शिक्षा, कौशल विकास कार्यक्रमों, सरकारी योजनाओं तथा देश-दुनिया की जानकारी से सहजता से जुड़ सकेंगे।

इसके साथ ही 25 पुनर्वासित युवाओं को मेसन किट प्रदान कर निर्माण क्षेत्र में रोजगार एवं स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहित किया गया। यह पहल प्रधानमंत्री आवास योजना–ग्रामीण सहित अन्य विकास कार्यों के लिए कुशल श्रमशक्ति तैयार करने की दिशा में भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

आत्मसमर्पण करने वाले लोगों स्वरोजगार के नए अवसरों उपलब्ध कराने संकल्पित

जिला प्रशासन ने बताया कि नक्सल पुनर्वास को केवल आर्थिक सहायता तक सीमित न रखते हुए इसे आत्मनिर्भरता, सम्मान और सामाजिक समावेशन से जोड़ा जा रहा है। 5G स्मार्टफोन के माध्यम से पुनर्वासित युवा अब ऑनलाइन प्रशिक्षण, आधुनिक कृषि तकनीकों, छोटे व्यवसायों और स्वरोजगार के नए अवसरों को समझने और अपनाने में सक्षम होंगे।आत्मसमर्पण करने वाले माओवादी लोगों स्वरोजगार के नए अवसरों उपलब्ध कराने सरकार संकल्पित है l

पुनर्वासित युवाओं ने साझा किए अनुभव

पोलमपल्ली निवासी पुनर्वासित पोड़ियम भीमा ने बताया कि वे लगभग 30 वर्षों तक डीवीसी सदस्य के रूप में संगठन से जुड़े रहे। पुनर्वास के बाद उन्हें बेहतर आवास, भोजन और प्रशिक्षण की सुविधा मिल रही है। उन्होंने बताया कि वे राजमिस्त्री के साथ-साथ इलेक्ट्रीशियन और मैकेनिक का प्रशिक्षण भी प्राप्त कर चुके हैं।

पुवर्ती निवासी मुचाकी रनवती ने बताया कि वे 24 वर्षों तक एसीएम सदस्य के रूप में नक्सल संगठन से जुड़ी रहीं। पुनर्वास के बाद उन्होंने सिलाई प्रशिक्षण प्राप्त किया और वर्तमान में राजमिस्त्री प्रशिक्षण ले रही हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें अपने परिजनों से मिलने का अवसर मिला तथा बस्तर ओलंपिक की संभागस्तरीय प्रतियोगिता में भाग लेकर प्रथम पुरस्कार भी प्राप्त किया।

डब्बमरका, सुकमा निवासी गंगा वेट्टी ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि जिला प्रशासन द्वारा मोबाइल और मेसन किट मिलने से उनका आत्मविश्वास बढ़ा है। उन्होंने कहा कि जंगल के जीवन की तुलना में वर्तमान जीवन सुरक्षित और सम्मानजनक है। शिविर लगाकर उनका आधार कार्ड, आयुष्मान कार्ड, राशन कार्ड एवं जॉब कार्ड बनाया गया तथा शासन की सभी योजनाओं का लाभ उन्हें मिल रहा है।

सुकमा में की गई यह पहल इस बात का प्रमाण है कि छत्तीसगढ़ शासन की नीति केवल नक्सलवाद से मुकाबले तक सीमित नहीं है, बल्कि भटके हुए युवाओं को विश्वास, अवसर और सम्मान के साथ नया जीवन देने की ठोस कोशिश भी है। यह मॉडल नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शांति, विकास और सामाजिक समरसता की मजबूत नींव रख रहा है। इस अवसर पर जिले के प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारी उपस्थित रहे।


मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने बाबा गुरु घासीदास जयंती पर प्रदेशवासियों को दी शुभकामनाएँ

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मनखे-मनखे एक समान” का संदेश बाबा गुरु घासीदास जी की अमर विरासत: सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध चेतना के अग्रदूत थे बाबा गुरु घासीदास जी – मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय

रायपुर, मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने महान समाज सुधारक और आध्यात्मिक चेतना के प्रतीक बाबा गुरु घासीदास जी की 18 दिसम्बर को जयंती के अवसर पर प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ दी हैं।

मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने कहा कि बाबा गुरु घासीदास जी ने अपने दिव्य उपदेशों और आचरण से समाज को सत्य, अहिंसा, समानता और सामाजिक सद्भाव के मार्ग पर अग्रसर किया। उनका अमर संदेश “मनखे-मनखे एक समान” केवल एक विचार नहीं, बल्कि मानवता को जोड़ने वाला ऐसा जीवन-दर्शन है, जो भेदभाव रहित, न्यायपूर्ण और समतामूलक समाज की मजबूत नींव रखता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि बाबा गुरु घासीदास जी ने छत्तीसगढ़ की धरती पर सामाजिक एवं आध्यात्मिक जागरण की सुदृढ़ आधारशिला रखी। उन्होंने समाज में व्याप्त कुरीतियों, असमानताओं और अंधविश्वासों के विरुद्ध चेतना जगाते हुए नैतिक मूल्यों की पुनर्स्थापना की और जनमानस को आत्मसम्मान एवं मानवीय गरिमा का बोध कराया।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि बाबा जी का जीवन-दर्शन करुणा, सहिष्णुता, प्रेम, सत्यनिष्ठा और परस्पर सम्मान जैसे मानवीय गुणों के विकास का मार्गदर्शक है। उनके विचार और आदर्श समय की कसौटी पर खरे उतरते हुए आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं और वर्तमान समाज के लिए प्रेरणा का सशक्त स्रोत बने हुए हैं।

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने प्रदेशवासियों से आह्वान किया कि वे बाबा गुरु घासीदास जी के आदर्शों को अपने जीवन में आत्मसात करें तथा सामाजिक समरसता, शांति और सौहार्द के साथ एक समृद्ध एवं समावेशी छत्तीसगढ़ के निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाएँ।


दो वर्ष की निरंतर सेवा, निरंतर विकास की दिशा में एक और पहल: मुख्यमंत्री श्री साय ने कॉफी टेबल बुक्स का किया विमोचन

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रायपुर, मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने आज शाम नवीन विधानसभा स्थित अपने कार्यालय में “दो साल निरंतर सेवा,निरंतर विकास” की भावना को समर्पित छत्तीसगढ़ की समृद्ध संस्कृति, परंपरा और प्राकृतिक सौंदर्य को दर्शाने वाली जनसंपर्क विभाग द्वारा प्रकाशित आठ कॉफी टेबल बुक्स का विमोचन किया गया।
इनमें बस्तर दशहरा (हिन्दी), बस्तर दशहरा (अंग्रेजी),पुण्यभूमि छत्तीसगढ़ (हिन्दी),पुण्यभूमि छत्तीसगढ़ (अंग्रेजी), छत्तीसगढ़ के अतुल्य जलप्रपात (हिन्दी), छत्तीसगढ़ के अतुल्य जलप्रपात (अंग्रेजी),बैगा टैटू (हिन्दी) और बैगा टैटू (अंग्रेजी) शामिल हैं।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि ये कॉफी टेबल बुक्स छत्तीसगढ़ की लोक-संस्कृति, ऐतिहासिक परंपराओं, आदिवासी कला और प्राकृतिक विरासत को देश-विदेश तक पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। उन्होंने इसे राज्य की पहचान को सशक्त करने वाला सार्थक प्रयास बताया।

इस अवसर पर जगदलपुर विधायक श्री किरण सिंह देव , महासमुन्द विधायक श्री योगेश्वर सिन्हा, जनसंपर्क विभाग के सचिव श्री रोहित यादव, जनसंपर्क आयुक्त श्री रवि मित्तल, मुख्यमंत्री के प्रेस अधिकारी श्री आलोक सिंह, पूर्व विधायक श्री खिलावन साहू सहित अन्य जनप्रतिनिधि एवं संबंधित विभागों के अन्य प्रतिनिधि उपस्थित थे।


मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय को राज्य स्तरीय ओपन फिटनेस रन का आमंत्रण

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रायपुर, मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय से आज छत्तीसगढ़ विधानसभा स्थित उनके कार्यालय में विधायक श्री मोतीलाल साहू के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने सौजन्य मुलाकात की। इस अवसर पर प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को बलौदाबाजार जिले के ग्राम खरतोरा में आयोजित होने वाले राज्य स्तरीय ओपन फिटनेस रन कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया तथा आयोजन की प्रतीकात्मक टी-शर्ट भेंट की।

मुख्यमंत्री श्री साय ने आमंत्रण के लिए प्रतिनिधिमंडल का आभार व्यक्त करते हुए कार्यक्रम की सफलता के लिए शुभकामनाएँ दीं। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आयोजन समाज में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ युवाओं को सकारात्मक दिशा देने का सशक्त माध्यम हैं।

प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि कार्यक्रम के दौरान भारतीय सेना, पुलिस तथा सीमा सुरक्षा बल के जवानों को सम्मानित किया जाएगा।मुख्यमंत्री श्री साय ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि देश की सुरक्षा में सतत रूप से समर्पित जवानों का सम्मान करना पूरे समाज के लिए गर्व और प्रेरणा का विषय है।
उन्होंने कहा कि फिटनेस, अनुशासन और देशभक्ति जैसे मूल्यों को एक मंच पर जोड़ने वाले ऐसे आयोजन स्वस्थ, सशक्त और जागरूक समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।


छत्तीसगढ़ को शांति, विश्वास और उज्ज्वल भविष्य का प्रदेश बनाना राज्य सरकार का अटल संकल्प – मुख्यमंत्री श्री साय

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पूना मारगेम’ से शांति की ओर मजबूती से बढ़ते कदम: बीजापुर में 34 माओवादी कैडरों ने किया आत्मसमर्पण

रायपुर  बस्तर अंचल में शांति, विश्वास और विकास की दिशा में एक और महत्वपूर्ण सफलता मिली है। बीजापुर जिले में ₹84 लाख के इनामी 34 माओवादी कैडरों ने हिंसा का मार्ग त्यागते हुए भारतीय संविधान में आस्था जताई है और समाज की मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया है।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि यह उपलब्धि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व एवं केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह जी की दृढ़ इच्छाशक्ति के अनुरूप छत्तीसगढ़ को नक्सलमुक्त बनाने की दिशा में चल रहे सतत और ठोस प्रयासों का परिणाम है।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि राज्य सरकार की ‘पूना मारगेम’ नीति ने यह सिद्ध कर दिया है कि संवाद, संवेदनशीलता और विकास, हिंसा से कहीं अधिक प्रभावी समाधान हैं। यह आत्मसमर्पण केवल हथियार छोड़ने की घटना नहीं है, बल्कि भय और भ्रम से मुक्त होकर सम्मानजनक जीवन की ओर लौटने का निर्णय है।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि राज्य सरकार आत्मसमर्पण करने वाले सभी व्यक्तियों के पुनर्वास, सुरक्षा, आजीविका, कौशल विकास और सामाजिक पुनर्समावेशन के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है, ताकि वे समाज में आत्मनिर्भर बन सकें।

मुख्यमंत्री ने आज भी भटके हुए युवाओं से अपील करते हुए कहा कि वे हिंसा का मार्ग त्यागें, लोकतंत्र और विकास के साथ कदम से कदम मिलाकर चलें तथा प्रदेश और देश के निर्माण में सहभागी बनें।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ को शांति, विश्वास और उज्ज्वल भविष्य का प्रदेश बनाना राज्य सरकार का अटल संकल्प है और इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सभी स्तरों पर समन्वित प्रयास जारी रहेंगे।


लाला जगदलपुरी की जयंती पर मुख्यमंत्री श्री साय ने किया श्रद्धापूर्वक नमन

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रायपुर, मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने बस्तर के महान साहित्यकार लाला जगदलपुरी की जयंती (17 दिसम्बर) पर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए नमन किया।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि लाला जगदलपुरी जी ने साहित्य को माध्यम बनाकर बस्तर की समृद्ध संस्कृति, इतिहास और लोकजीवन को देशभर में पहचान दिलाई। हिन्दी के साथ-साथ हल्बी, भतरी और छत्तीसगढ़ी भाषाओं में किया गया उनका सृजन बस्तर की आत्मा और संवेदनाओं का सशक्त साहित्यिक दस्तावेज है।

उन्होंने कहा कि “बस्तर : इतिहास एवं संस्कृति” और “बस्तर की लोक कथाएँ” जैसी कृतियाँ बस्तर की सांस्कृतिक विरासत को समझने की दृष्टि से अमूल्य हैं और आज भी नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पं. सुन्दरलाल शर्मा आंचलिक साहित्य अलंकरण से सम्मानित लाला जगदलपुरी जी की साहित्यिक विरासत छत्तीसगढ़ की अमूल्य धरोहर है। उनका जीवन और कृतित्व सदैव समाज को संस्कृति से जोड़ने और उसे सहेजने की प्रेरणा देता रहेगा।


धान से हटकर समृद्धि की राह: जेवरा के किसान दिलीप सिन्हा ने दलहन-तिलहन से कमाए 25 लाख रुपये

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फसल विविधीकरण की प्रेरक कहानी — कम पानी, कम लागत और अधिक लाभ का सफल मॉडल

रायपुर, जिला बेमेतरा के ग्राम जेवरा के प्रगतिशील कृषक श्री दिलीप सिन्हा ने ग्रीष्मकालीन धान की परंपरागत खेती को छोड़कर दलहन-तिलहन फसलों को अपनाकर कृषि क्षेत्र में एक नई मिसाल कायम की है। वैज्ञानिक खेती, सही फसल चयन और बाजार की समझ के बल पर उन्होंने लगभग 25 लाख रुपये का शुद्ध लाभ अर्जित किया है।

क्षेत्र में वर्षों से ग्रीष्मकालीन धान की खेती प्रचलित रही है, जिसमें अधिक पानी, बिजली, उर्वरक और श्रम की आवश्यकता होती है। बढ़ती लागत और घटते मुनाफे को देखते हुए श्री सिन्हा ने खेती के स्वरूप में बदलाव का साहसिक निर्णय लिया।

दलहन-तिलहन की ओर कदम

कृषि विभाग और कृषि वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन में उन्होंने ग्रीष्म ऋतु में धान के स्थान पर मूंग और उड़द (दलहन) तथा सरसों और तिल (तिलहन) की खेती शुरू की। इन फसलों की विशेषता रही — कम पानी में अच्छी पैदावार, कम लागत, रोग-कीट प्रकोप कम और बाजार में बेहतर मूल्य। साथ ही दलहनी फसलों से मिट्टी की उर्वरता में भी सुधार हुआ।

वैज्ञानिक तकनीकों का प्रभाव

उन्नत किस्मों का चयन, बीज उपचार, संतुलित उर्वरक प्रबंधन, ड्रिप व स्प्रिंकलर जैसी सूक्ष्म सिंचाई तकनीक, समय पर निराई-गुड़ाई, फसल सुरक्षा तथा उत्पादन के बाद उचित भंडारण और विपणन ने उनकी सफलता को और मजबूत किया। इन उपायों से जहां लागत में उल्लेखनीय कमी आई, वहीं उत्पादन और आय में भी बड़ा इजाफा हुआ। श्री दिलीप सिन्हा की यह सफलता कहानी दर्शाती है कि फसल विविधीकरण और वैज्ञानिक खेती अपनाकर किसान कम संसाधनों में भी अधिक लाभ कमा सकते हैं। धान के विकल्प के रूप में दलहन-तिलहन की खेती न केवल आर्थिक रूप से फायदेमंद है, बल्कि जल संरक्षण, मिट्टी सुधार और टिकाऊ कृषि की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है।


उज्ज्वला योजना ने बदली द्रोपदी यादव की रसोई और जिंदगी

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स्वच्छ ईंधन से मिली राहत, स्वास्थ्य और सम्मानजनक जीवन की नई शुरुआत

रायपुर,बेमेतरा जिला के ग्राम देवरबीजा निवासी द्रोपदी यादव के जीवन में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना ने एक सकारात्मक बदलाव ला दिया है। भारत सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना के अंतर्गत उन्हें निःशुल्क एलपीजी गैस कनेक्शन प्राप्त हुआ, जिससे वर्षों से धुएँ से भरे परंपरागत चूल्हे पर खाना पकाने की मजबूरी समाप्त हो गई।

गैस कनेक्शन मिलने के बाद द्रोपदी यादव और उनके परिवार को स्वच्छ, सुरक्षित और सुविधाजनक ईंधन उपलब्ध हुआ है। इससे न केवल रसोई का वातावरण स्वच्छ हुआ, बल्कि महिलाओं के स्वास्थ्य, समय और जीवन स्तर में भी उल्लेखनीय सुधार देखने को मिला है। अब उन्हें लकड़ी, कोयला या उपलों की व्यवस्था के लिए दूर-दराज नहीं जाना पड़ता, जिससे उनका दैनिक जीवन पहले की तुलना में कहीं अधिक सरल और सुरक्षित हो गया है।

गैस कनेक्शन मिलने पर द्रोपदी यादव ने भावुक होते हुए कहा कि उज्ज्वला योजना ने मेरी रसोई के साथ-साथ मेरी जिंदगी भी बदल दी है। अब धुएँ से आँखों में जलन और खांसी जैसी समस्याएँ नहीं होतीं। समय की बचत हो रही है, जिसे मैं अपने परिवार और बच्चों के साथ बिता पा रही हूँ। उन्होंने इस जनकल्याणकारी योजना के लिए राज्य शासन एवं केंद्र सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया।

उज्ज्वला योजना का मुख्य उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों की महिलाओं को स्वच्छ ईंधन उपलब्ध कराकर उन्हें धुएँ से होने वाली बीमारियों से बचाना और जीवन को सहज बनाना है। इस योजना के तहत गैस कनेक्शन मिलने से द्रोपदी यादव जैसी अनेक महिलाओं को स्वास्थ्य सुरक्षा के साथ-साथ सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर मिला है।

ग्राम देवरबीजा में द्रोपदी यादव को गैस कनेक्शन मिलने के बाद अन्य ग्रामीण महिलाओं में भी योजना के प्रति जागरूकता और उत्साह देखा जा रहा है। महिलाएँ आगे बढ़कर आवेदन कर रही हैं और योजना का लाभ ले रही हैं। द्रोपदी यादव की यह कहानी उज्ज्वला योजना के प्रभावी क्रियान्वयन और ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण की एक प्रेरक मिसाल बनकर सामने आई है।